हिन्दू मान्यताओं के अंतर्गत भिन्न-भिन्न लोकों की अवधारणा को अपनाया गया है। इन सभी लोकों में देवी-देवताओं का वास होता है और मृत्युलोक यानि की धरती से इन सभी की दूरी अलग-अलग है। इस आधार पर यह माना गया है कि जो लोक पृथ्वी के सबसे नजदीक है, उसके देवी-देवताओं की पूजा करने से जल्दी फल प्राप्त होता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार इस विश्व में अनेक प्रकार के अस्तित्व होते है। इंद्र वरुण इत्यादि को हम देव कहते है तथा प्रल्हाद, रावण इत्यादि राक्षस होते है। लेकिन इन सबसे परे भी अनेक जिव ऐसे होते है जो इंसान से हटके होते है। यक्ष, नाग, गधर्व और किन्नर उन्ही में ऐसे कुछ है। इन सभी को इंसान से ज्यादा ताकत, ज्ञान तथा सिद्धियाँ प्राप्त होती है।
यक्षों एक प्रकार के पौराणिक चरित्र हैं। यक्षों को राक्षसों के निकट माना जाता है, यद्यपि वे मनुष्यों के विरोधी नहीं होते, जैसे राक्षस होते है। माना जाता है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।
यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है 'जादू की शक्ति'।
हिन्दू धर्मग्रन्थो में एक अच्छे यक्ष का उदाहरण मिलता है जिसे कुबेर कहते हैं तथा जो धन-सम्पदा में अतुलनीय थे। एक अन्य यक्ष का प्रसंग महाभारत में भी मिलता है। जब पाण्डव दूसरे वनवास के समय वन-वन भटक रहे थे तब एक यक्ष से उनकी भेंट हुई जिसने युधिष्ठिर से विख्यात यक्ष प्रश्न किए थे।
ऐसी मान्यता है की यक्ष दिहने में काफी बुते होते है लेकिन वे अत्यंत खूबसूरत रूप धारण करके इंसानो के सामने आ सकते है।