घर में सुबह से हलचल थी। बहुत दिनों से सुरेश की चाह घर में एक छोटा सा मंदिर रखने की थी। इस वर्ष नवरात्र के शुभ अवसर पर संगमरमर पत्थर का छोटा सा खूबसूरत मंदिर घर लाए। शेरावाली माता की छोटी सी सुन्दर मूर्ती को चृण्णामत में नहला कर मंदिर में रखा। मंदिर को फूलों से सजाया। रंग बिरंगी बिजली के बल्बों से युक्त लडियों की माला को मंदिर के चारो ओर सजाया। रंग बिरंगी जलती बुझती लाईटें बहुत आकर्षक लग रही थी। सारिका ने दोनों बच्चों रक्षा और रक्षित को प्यार से समझते हुए कहा।


“हमारे घर माता रानी विराजमान हुई हैं। अब हर रोज सुबह, शाम को माता रानी के दर्शन कर के आर्शीवाद लेना है। सुबह स्कूल जाने से पहले और शाम को खेलने के बाद।“


दोनो बच्चों ने आज्ञाकारी बालकों की तरह सिर झुका कर मां की बात सुनी और माता रानी के सामने नमस्तक हुए।
“मां, पापा हनुमान की मूर्ती नही लाए। हम हर मंगलवार को हम हनुमान जी के मंदिर जाते हैं।“ रक्षित ने मं से पूछा।
सुरेश मां, बच्चों का वार्तालाप चाव से सुन रहा था। बेटे के भोले मुख से निकली वाणी को उसी दिन साकार किया। “अच्छा, बेटे, हम आज ही हनुमान जी को भी घर में विराजमान करते हैं।“


कहानुसार शाम को घर में हनुमान जी भी विगाजमान हो गए।


“मां, अब माता रानी और हनुमान जी घर आ गए हैं, तो हम मंदिर नही जाएगें, क्या? रक्षा के इस प्रश्न पर हंसते हुए सुरेश ने कहा, “मंदिर भी जाएगें। घर में भी भगवान के दर्शन करेंगें। यह मत सोचों कि भगवान मूर्ती में बसते है। हर कण में भगवान समाते हैं। हमें अपने दिल में भगवान रखना चाहिए। जब हमारे दिल में भगवान रहेगें, तो हमारा साथ अवश्य देगें। जो मांगोंगे, जरूर मिलेगा।“


“अगर हम कहेगें, कि पेपर में हमें अच्छे नंबर दिला कर सर्व प्रथम कर दे, तो क्या भगवान जी हमें सर्व प्रथम कर देगें?”
बच्चों के मुख से यह प्रश्न सुन कर सारिका ने उन्हे समझाया कि उन्हे पढना पढेगा। मेहनत करनी पढेगी। भगवान जी तब अवश्य मदद करेगें। तुम सर्व प्रथम भी आऔगे। पढोगें नही, मेहनत नही करोगें तुम, तो भगवान जी नाराज हो जाएगे, तुम्हे फेल कर देगें। भगवान जी कहते हैं, तुम कर्म करो, फल की चिन्ता मत करो, फल मिलेगा जरूर। हमे अपने सुख स्वार्थ के लिए भगवान की पूजा नही करनी चाहिए। हमें सब के सुख, उन्नति की प्रार्थना करनी चाहिए। सब की भलाई में ही हमारी भलाई है। बच्चों को दार्शनिक बाते समझ में कम ही आई। बस माता पिता की बातों को सुनते रहे। कहानुसार माता रानी और हनुमान जी के आगे माथा टेका।

 


“आऔ प्रार्थना करे।“
सब प्रार्थना करते हैं।


सुखी रहे संसार सब, दुखी रहे न कोई
यह अभिलाषा हम सब की, भगवान पूरी होए
विद्या बुद्धी तेजबल, सबके भीतर होए
दूध पूत धन धान्य से वंचित रहे न कोई
आप की भक्ति प्रेम से मन होए भरपूर
रोग द्वेश से चित मेरा भागे कोसों दूर
मिले भरोसा नाम का सदा रहे जगदीश
आशा तेरे नाम की बनी रहे जगदीश
पाप से हमे बचाईए करके दया दयाल
अपना भक्त बना कर हमको करो निहाल
दिल में दया उतारता मन में प्रेम और प्यार
देह हृदय में वीरता, सबको दो करतार
नाराण्य तुम आप हो प्रेम के विमोचन हार
क्षमा करो अपराध सब, कर दो भव से पार
हाथ जोड विनती करूं सुनिए कृपा निधान
सद संगत सुख दीजिए दया नमृता दान

 

 

 

मनमोहन भाटिया

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